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CHLOROBOOST_ PRODUCTS की सामान्य जानकारी:-
*🔹Alfa -Alfa (अल्फा- अल्फा प्लांट):-
☘️अल्फ़ा-अल्फ़ा एक अरबी नाम है जिसका अर्थ है पौधों का बाप.
Alfa - Alfa Plant यह एक ऐसा पौधा है जिसे हम जितने भी आयुर्वेदिक हैं उसके बाप - पिता कहते हैं।
_Alfa Alfa Plant is The Father of Herbs._
~ अल्फाल्फा एंटी-इंफ्लेमेटरी, एंटी-माइक्रोबियल, एंटी-अल्सर, एंटीऑक्सीडेंट गुणों से युक्त भरपूर होता है।
~ इसकी जड़ें धरती में 20 से 30 फीट निचे तक फैली होती हैं. इतना निचे से अल्फ़ा-अल्फ़ा वो खनिज-लवण प्राप्त कर लेता है जो धरती के सतह पर मौजूद नहीं होती है. अल्फ़ा-अल्फ़ा में प्रचुर मात्रा में विटामिन, मिनरल और अन्य पोषक तत्व मिलते हैं.
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° क्लोरोफिल का बेहतरीन स्त्रोत है. इस वजह से ये श्वसन सम्बन्धी समस्याओं के निदान में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है. खास करके फेफड़ों और साइनस की समस्या से पीड़ित मरीज के लिए बहुत फायदेमंद है।
° पेट की बिमारियों मेंअल्फ़ा-अल्फ़ा खाने पीने से आपके पेट की बीमारियाँ तो ख़त्म होती ही हैं इसके खिलाफ आपके लड़ने की क्षमता में भी वृद्धि होती है. इसको पिने से आप पेट की बिमारी से पीड़ित इसका लाभ उठा सकते हैं. पाचन क्रिया मजबूत होती है,
पेट की बीमारी ही दुनिया भर की कई बीमारियों का स्त्रोत हो सकती है इसलिए इसका अतिरिक्त फायदा भी है
° अल्फ़ा-अल्फ़ा शुगर के उपचार के लिए एक प्राकृतिक स्त्रोत माना जाता है. खास करके ब्लड शुगर की समस्या से पीड़ित मरीजों को इसका नियमित सेवन करना चाहिए. ये रक्त शर्करा का स्तर भी कम करता है
° गंजेपन से बचने के लिए, बालों के विकास एवं मजबूती के लिए बहुत लाभदायक है।
° कोलेस्ट्राल, वसा, शुगर और संतृप्त वसा से मुक्त होता है. यही नहीं ये प्रोटीन और फाइबर से भी भरपूर होता है. जो मोटापा कम करता है। वजन कम करने में मदद करता है ।
° मधुमेह को नियंत्रण करता है · हृदय रोग का खतरा कम करता है ।
° जोड़ों के दर्द में मिनरल का सबसे अच्छा स्त्रोत माने जाने वाले अल्फ़ा-अल्फ़ा, हड्डियों को मजबूत बनाने तथा गठिया वात उपचार के लिए काफी फायदेमंद होता है।
° जाहिर है महावारी के बाद महिलाओं को कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ता है. अल्फ़ा-अल्फ़ा में अस्ट्रोजेनिक गुण मौजूद होने के कारण पीरियड्स के दौरान ये महिलाओं को राहत देने का काम करता है. पीरियड्स में राहत महसूस करने के लिए महिलाएं इसका इस्तेमाल कर सकती हैं
° किडनी के पथरी के उपचार में विटामिन ए, सी, ई और जिंक किडनी की पथरी को गलाकर बाहर निकालते में सहायक है।
° कैंसर के बचाव के लिए काफी फायदेमंद है।
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-- यह अल्फा अल्फा 20 से 30 फिट की गहराई में से निकालकर इसे उपयोग में लाए जाते हैं--
^ अब आप ही सोचिए कि हम आधे से एक fit की गहराई वाले अनाज, सब्जी में इतनी पोषक तत्व भरे होते हैं तो यह तो उससे भी कई अधिक गहराई में पाए जाते हैं।
तो फिर Alfa Alfa में कितना अधिक लाभ फायदा होगा।
शायद आप कल्पना नहीं कर सकते।
जिसका उपयोग हम CHLOROBOOST में के रूप में कर रहे हैं।
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🔹• GILOY (गिलोय):-
गिलोय का नाम आपने जरूर सुना होगा। इसे गुडुची के नाम से भी जाना जाता है। यह एक ऐसी आयुर्वेदिक जड़ी बूटी है जिसे 'अमृता' (अमरता का दिव्य अमृत) कहा जाता है।
गुडुची को आयुर्वेद में सबसे शक्तिशाली जड़ी बूटियों में से एक माना जाता है।
गिलोय की पत्तियों में कैल्शियम, प्रोटीन, फॉस्फोरस पर्याप्त मात्रा में पाया जाता है, गिलोय का इस्तेमाल कई तरह की बीमारियों में किया जाता है. इसके अलावा ये एक बेहतरीन पावर ड्रिंक भी है।
^ गिलोय एक नैचुरल एंटी-इंफ्लेमेटरी, एंटी-बायोटिक, एंटी-एजिंग, एंटी-ऑक्सीडेंट, एंटी-वायरल, एंटी-डायबिटिक और एंटी-कैंसर दवा है।
° गिलोय शरीर को ऊर्जा देती है, इम्यूनिटी सिस्टम को बूस्ट करने और पाचन क्रिया को सही करती है और ब्रेन पावर, याददाश्त बढ़ाने के लिए टॉनिक है।
° इस में बुखार, डेंगू, चिकनगुनिया, गठिया दर्द, वायरल बुखार, खांसी और जुकाम जैसे रोगों से लड़ने और उन्हें खत्म करने की पूरी क्षमता है।
° खून की कमी ठीक करता है, आंखों की रोशनी बढ़ाती है, कोलेस्ट्रॉल लेवल को कम करता है, पीलिया के मरीजों के लिए, कान के लिए, टीवी की बीमारी के लिए, बवासीर के लिए, लीवर के लिए, सुगर कंट्रोल करने के लिए, हाथी पांव फायलेरिया, कुष्ठ रोगी के लिए, कफ, उल्टी, मूत्र रोग के लिए, स्वस्थ्य हृदय, कैंसर के लिए फायदेमंद है।
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🔹• MULBERRY शहतूत (मल्बेरी):-
इसमें एंटीऑक्सिडेंट जैसे विटामिन A, विटामिन C, विटामिन E, एंथोसायनिन और कैरोटीनॉयड भरपूर मात्रा में होते हैं और इनमें , एंटी-इंफ्लेमेट्री, कई अन्य पॉलीफेनोलिक यौगिक के गुण भरपूर मात्रा में होते हैं।
^ शहतूत (मल्बेरी) आयरन से भरपूर होता है, जो कि ज़्यादातर फलों में मुश्किल से ही होता है। आयरन के होने से शरीर में लाल रक्त कोशिकाओं (रेड ब्लड सेल) का उत्पादन बढ़ता है। यह शरीर की अंग प्रणालियों (ऑर्गन सिस्टम) और ऊतकों (टिश्यू) तक सही प्रकार से ऑक्सीजन पंहुचाने में मदद कर सकता है।
इससे पता चलता है कि शहतूत (मल्बेरी) मेटाबोलिज्म को बढ़ा सकते हैं और शरीर के विभिन्न हिस्सों को ठीक से काम करने में मदद कर सकता है।
° यह मेटाबोलिक सिस्टम को मजबूत कर पाचन क्रिया में सहायक है।
° यह त्वचा के दाग-धब्बों को कम करने में मदद कर सकते हैं,त्वचा को चिकना और युवा रखते हैं, और इन एंटीऑक्सीडेंट गुणों के कारण यह बढ़ती उम्र के धब्बों को कम करता है।
° जलन और सूजन को कम कर सकता है।
° एंटी-पायरेटिक (बुखार कम करने में मदद कर सकता है।
° ऐन्थेल्मिन्टिक (कुछ तरह के परजीवी कीड़ों (पैरासिटिक वर्म्स) को नष्ट करने के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है।
° असामान्य खून के थक्कों का बनना धीमा कर सकता है,
° धमनियों (आर्टरीज़) की भीतरी दीवारों पर वसायुक्त पदार्थ (फैटी मटीरियल) को जमने से रोकने में मदद करता है,
° इसमें कोलेस्ट्रॉल को कम करने के गुण हो सकते हैं,
° सुगर कंट्रोल करने में सहायक है, इसमें ब्लड शुगर के स्तर को कम करने के गुण हो सकते हैं।
° बालों को लंबे तथा मजबूती प्रदान करते हैं।
° एंटीऑक्सिडेंट, सेलुलर मेटाबॉलिज़्म के हानिकारक उप-उत्पादों को बनाने वाले मुक्त कणों (फ्री रेडिकल्स) से सुरक्षा प्रदान करते हैं। ये उप-उत्पाद, स्वस्थ कोशिकाओं (हेल्थी सेल) को नुकसान पहुंचाते हैं और उन्हें कैंसर कोशिकाओं (सेल्स) में बदल देते हैं, जो कैंसर से लडने में सहायक है।
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*🔹• GREEN TEA (ग्रीन- टी):-
ग्रीन टी में वो तमाम पोषक तत्व मौजूद होते हैं जिससे सेहत को फायदा पहुंचता है. इसमें मुख्य रूप से विटामिन ए, विटामिन ई, विटामिन B5, विटामिन के, राइबोफ्लेविन, थायमीन, मैंगनीज, पोटैशियम, कॉपर, आयरन, ऑक्सीडेंट, पॉलीफेनॉल जैसे तत्व पाए जाते हैं, जो आप को बेहतर सेहत देने के लिए जिम्मेदार होते हैं.
रोग प्रतिरोधक क्षमता मजबूत होती है- डाइटिशियन स्वाति बलीथाल के मुताबिक ग्रीन टी के सेवन से आप कई बीमारियों से बच सकते हैं. सबसे पहले तो इससे शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता मजबूत होती है. जिस वजह से आप किसी भी बीमारी के चपेट में जल्दी नहीं आ पाते.
~~ ग्रीन-टी के फायदे अनेक हैं, लंबी उम्र भी उन्हीं फायदों में से एक है। ग्रीन-टी इम्युनिटी को बढ़ाकर कई बीमारियोंं से बचा सकती है। जैसा कि हमने ऊपर बताया कि ग्रीन टी हड्डियों की समस्या, कैंसर और मधुमेह जैसी बीमारियों के बचाव में सहायक हो सकती है।
^वहीं, दूसरी ओर एक अमेरिकी अध्ययन के अनुसार कैफीन का सेवन कई शारीरिक समस्याओं का कारण भी बन सकता है। शोध के अनुसार कैफिन का अत्यधिक सेवन नींद की समस्या, बेचैनी, शरीर में कैल्शियम की कमी और फ्रैक्चर के जोखिम को भी बढ़ा सकता है।
° ग्रीन टी उम्र बढ़ने में भी सहायक है।
° ग्रीन टी में मौजूद एंटीऑक्सीडेंट पॉलिफिनॉलिक शरीर की इम्यूनिटी को बढ़ावा देने का काम करते हैं।
° मेटाबोलिक सिस्टम को सही कर पाचन क्रिया मजबूत बनाने है।
° ग्रीन टी चिंता को कम करने के साथ-साथ मस्तिष्क की कार्यप्रणाली में सुधार कर सकती है। इसके अलावा, यह एकाग्रता बढ़ाने में भी सकारात्मक प्रभाव प्रदर्शित कर सकती है। शोध में बताया गया है कि इन सभी लाभ के पीछे ग्रीन में मौजूद कैफीन और एल-थीनाइन (l-theanine – एक प्रकार का केमिकल) का संयुक्त प्रभाव हो सकता है।
° ग्रीन टी में मौजूद एंटीऑक्सीडेंट पॉलीफेनॉल और अमीनो एसिड्स की मात्रा शरीर में हार्मोन को संतुलित कर मूड को ठीक करने का काम करती है. इससे आप तनाव से मुक्ति पा सकते हैं।
° ग्रीन टी बैड कोलेस्ट्रॉल को कम करने में सहायक है, साथ ही ये गुड कोलेस्ट्रॉल को बढ़ाने में मदद कर सकते हैं. इसके नियमित सेवन से बीपी भी कंट्रोल में रहता है और हार्ट स्ट्रोक का खतरा कम होता है.।
° ब्लड प्रेसर को कम करता है तथा, मेटाबॉलिज्म तथा ऑक्सीकरण को बढ़ावा देता है कोलेस्ट्रोल कम करते हैं जिससे मोटापा कम होती है।
° ग्रीन टी में कैटेचिन और कैफीन के मिश्रण के कारण वजन कम करने में सहायक है।
° आतंरिक स्वास्थ्य के साथ-साथ त्वचा और बालों के लिए भी कारगर हो सकते हैं।
° मुंह के स्वास्थ्य के लिए भी लाभकारी तथा दांतों को सड़ने से बचाव कर मजबूती प्रदान करता है।
° ग्रीन टी का सेवन इंसुलिन सेंसिटिविटी (जब इन्सुलिन प्रभावी ढंग से ब्लड ग्लूकोज को ऊर्जा में परिवर्तित करता है) में सुधार कर सकता है। वहीं, यह इंसुलिन रेजिस्टेंस (Insulin Resitence – कोशिकाएं जब इंसुलिन को प्रतिक्रिया नहीं देती, जिससे ब्लड शुगर का स्तर बढ़ता है) और हाइपरग्लाइसीमिया (Hyperglycemia – खून में ग्लूकोज का बढ़ना) से बचाव कर सकता है।
*आसान शब्दों में* समझा जाए तो ग्रीन टी में एंटी-डायबिटिक गुण होते हैं, जो खून में ग्लूकोज के स्तर को कम कर मधुमेह का जोखिम कम कर सकते हैं ।
° पॉलीफेनोल (कैटेचिन) चाय के एंटी-कैंसर गुणों के लिए जिम्मेदार है। इनमें से सबसे भरोसेमंद ईजीसीजी (epigallocatechin-3-gallate) है। यह, मुक्त कणों से लड़ सकता है और कोशिकाओं को डीएनए क्षति से बचा सकता है।
~ ग्रीन-टी कुछ खास प्रकार के कैंसर (फेफड़े, त्वचा, स्तन, लिवर, पेट और आंत) के जोखिम से बचाव में मदद कर सकती है। साथ ही ग्रीन-टी कैंसर कोशिकाओं के प्रसार को रोकने में भी सहायक हो सकती है।
° ग्रीन टी का सेवन हड्डियों के लिए भी फायदेमंद हो सकता है। इसके पीछे ग्रीन टी में मौजूद बायोएक्टिव कंपाउंड हो सकते हैं। दरअसल, इसका सेवन बोन मिनरल डेंसिटी में सुधार कर फ्रैक्चर के खतरे को कम कर सकता है। वहीं, दूसरी तरफ यह ऑस्टियोक्लास्टिक (Osteoclastic Activities – हड्डी टूटने की प्रक्रिया) गतिविधियों को कम कर ओस्टियोब्लास्टिक गतिविधियों (Osteoblastic Activities – हड्डियों के बनने की प्रक्रिया) में सुधार कर सकता है।
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*🔹• SPIRULINA स्पिरुलिना):-
यह एक एल्गी यानी पानी में पाई जानी वाली काई वनस्पति है, जिसका नाम आपके लिए नया हो सकता है, लेकिन इसका इस्तेमाल सालों से एक कारगर आयुर्वेदिक औषधि के रूप में किया जाता रहा है।
~~ स्पिरुलिना अपने कई गुणों के लिए जाना जाता है, जैसे इम्यूनोमॉड्यूलेटरी, एंटीऑक्सिडेंट, एंटीकैंसर, एंटीहाइपरलिपिडेमिक, एंटी - हाइपर्टेंसिव और एंटीडायबिटिक गुण। वहीं, इन्ही में से एक एंटी-इन्फ्लामेट्री के गुण भी है। दरअसल, इसका मुख्य घटक फाइकोसाइनिन (phycocyanin) है, जो एंटीइंफ्लेमेटरी गुणों से समृद्ध होता है। इसलिए, कहा जा सकता है कि स्पिरुलिना शरीर में इंफ्लेमेशन को रोकने व नियंत्रित करने में एक अहम भूमिका निभा सकती है।
° स्पिरुलिना में मौजूद एंटी इंफ्लामेशन गुण गठिया के उपचार में भी सहायक हो सकते हैं।
° स्पिरुलिना में मौजूद पोषक तत्व पोषण संबंधी कमियों को दूर कर इम्यूनिटी में सुधार कर सकते हैं।
° स्पिरुलिना में फाइकोसाइनिन (Phycocyanin) नामक यौगिक पाया जाता है। शोध के मुताबिक, यह यौगिक कैंसर के जोखिम को और इससे बचाव में कुछ हद तक मदद कर सकता है
• शोध बताते हैं कि स्पिरुलिना शरीर में कीमोप्रिवेंटिव (Chemopreventive – कैंसर से बचाव) प्रभाव प्रदर्शित कर सकता है।
° स्पिरुलिना में एंटीहाइपरटेंसिव गुण होते हैं, जिसके कारण यह उच्च रक्तचाप को नियंत्रित करने में सहायक हो सकती है।
° एंटीहाइपरलिपिडेमिया (लिपिड को कम करने वाले), मोटापा एवं डायबिटीज को नियंत्रित करने वाले गुण पाए जाते हैं, जो हृदय रोग के जोखिम को कम करने में मददगार हो सकते हैं। वहीं, इसमें मौजूद एंटीऑक्सीडेंट गुण शरीर को फ्री रेडिकल्स के प्रभाव से बचा कर हृदय रोग की आशंका को कम कर सकते हैं।
° एनीमिया का मतलब रक्त में हीमोग्लोबिन या लाल रक्त कोशिकाओं में कमी होना है। एनीमिया के कारण लंबे समय तक तक कमजोरी और थकान का एहसास शरीर में रहता है।
Spirulina में मौजूद Folet और Iron की वजह से लाल रक्त कोशिकाओं (RBC) में हीमोग्लोबिन की मात्रा बढ़ती है।
° एचआईवी के मरीज के लिए काफी फायदेमंद है।
° शारीरिक विषाक्तता को बाहर निकाल शरीर को स्वस्थ रखने में सहायक है।
° जब आंखों पर अधिक प्रकाश पड़ता है, तो उससे आंखों पर ऑक्सीडेटिव तनाव का प्रभाव पड़ता है, जिससे अंधापन हो सकता है। इससे बचने के लिए स्पिरुलिना का उपयोग किया जा सकता है। दरअसल, स्पिरुलिना में मौजूद एंटीऑक्सीडेंट गुण आंखों को ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस के बचा सकते हैं और कम होती आंखों की रोशिन के जोखिम से बचा सकते हैं।
~ वहीं, स्पिरुलिना आंखों से जुड़ी बीमारी जैसे मोतियाबिंद और डायबिटीज की वजह से आंखों को होने वाले नुकसान से भी बचाव का काम कर सकती है।
° स्पिरुलिना में टायरोसिन, विटामिन-ई (टोकोफेरोल) और सेलेनियम होते हैं, ये सभी तत्व चेहरे स्किन के एजिंग प्रभावों को कम करने लिए जाने जाते हैं। टायरोसिन त्वचा कोशिकाओं की उम्र बढ़ने की गति को धीमा कर सकते हैं। इसमें मौजूद एंटीऑक्सीडेंट त्वचा पर झुर्रियों का कारण बनने वाले फ्री रेडिकल्स को खत्म कर सकते हैं ।
° बालों का बढ़ना एकदम से रुकने की वजह शरीर में जरूरी पोषक तत्वों जैसे प्रोटीन, फैटी एसिड और आयरन की कमी भी हो सकती है। इसलिए, पोषक तत्वों का खजाना स्पिरुलिना को बालों की ग्रोथ के लिए लाभदायक माना जाता है। इसमें बालों के लिए आवश्यक पोषक तत्व मौजूद हैं, जिसके कारण यह इन तीनों की कमी को पूरा कर सकती है। इससे झड़ते बालों की समस्या से आराम मिल सकता है ।
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*🔹ASHWAGANDHA (अश्वगंधा) :-
अश्वगंधा या Withania somnifera, आयुर्वेदिक चिकित्सा प्रणाली में उपयोग की जाने वाली एक लोकप्रिय जड़ी बूटी है।
अश्वगंधा को संपूर्ण शरीर के लिए फायदेमंद माना जाता है।
Ashwagandha के गुण -
~एंटीऑक्सीडेंट, एंटी-इन्फ्लेमेट्री, एंटी-पायरेटिक, एंग्ज़योलिटिक, डीप्यूरेटिव, एंटी स्ट्रेस, हाइपोग्लाइसेमिक, एंटीबैक्टीरियल एजेंट और इम्यून सिस्टम को बेहतर करना व अच्छी नींद शामिल हैं। इसके सेवन से मस्तिष्क की कार्यप्रणाली बेहतर हो सकती है ।
~ यह एक तरह की छोटी झाड़ी है जो Solanaceae परिवार का एक हिस्सा है। यह अलग-अलग रोगों के लिए और ज़्यादातर एक नर्व टॉनिक के रूप में (नसों पर आरामदायक प्रभाव डालने वाला) उपयोगी हो सकता है। अश्वगंधा को आमतौर पर इंडियन जिनसेंग या इंडियन विंटर चेरी कहा जाता है। अश्वगंधा अपने रसायन (टॉनिक) गुण के लिए जाना जाता है। रसायन एक हर्बल या मैटेलिक फ़ॉर्मूलेशन है जो एक ताज़गी भरे शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य के साथ-साथ खुशी का अहसास भी दिलाता है।
अश्वगंधा की शानदार खूबियाँ इस प्रकार हैं:-
° यह दर्द से राहत दे सकता है औ तनाव कम करने में, नींद लाने में मदद गार है।
° इम्यून सिस्टम को बढ़ाने तथा पुरुषों में यौन क्षमता को बढ़ाने में मदद करता है।
° यह एक डाययूरेटिक (शरीर से पेशाब को बाहर निकालने वाला) के तौर पर काम कर सकता है
° यह एक एस्ट्रिंजेंट (शरीर के टिशूज़ को सिकोड़ने वाला) के तौर पर काम कर सकता है
° यह एक एंटीहेल्मिन्थिक के तौर पर काम कर सकता है (पैरासाइटिक वर्म्स के खिलाफ काम करता है)
° यह थर्मोजेनिक (गर्मी पैदा करने वाला) हो सकता है।
° इसमें एंटी-इन्फ्लेमेट्री गुण (सूजन कम करने की क्षमता) हो सकते हैं
° इसमें एंटी-पायरेटिक के गुण (बुखार कम करने वाला) हो सकते हैं
° इसमें डीप्यूरेटिव गुण (डीटॉक्सिफ़ाइ करने वाला) हो सकते हैं।
° इसमें दिल की सुरक्षा करने वाली खूबियाँ हो सकती हैं
° यह एक सिडेटिव (नींद लाने वाला) के रूप में काम कर सकता है
° यह थायरोप्रोटेक्टिव (थायराइड ग्लैंड की रक्षा करने वाला) हो सकता है
° इसमें हाइपोग्लाइसेमिक गुण (ब्लड शुगर कम करने वाला) हो सकते हैं।
° अश्वगंधा नर्वस सिस्टम को शांत करके दर्द को दूर करने में मदद कर सकता है।
° अश्वगंधा में एंग्ज़योलिटिक (घबराहट से राहत देने वाले) गुण हो सकते हैं जो लॉराज़ेपाम नामक दवा की तरह ही होते हैं।
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*🔹ALOEVERA ( एलोवेरा):-
~ यह भले ही एक छोटा-सा पौधा है, लेकिन इसके गुण जगजाहिर हैं। इसके अनगिनत फायदों के कारण ही इसे लगभग हर घर में इस्तेमाल किया जाता है। एलोवेरा के फायदे अनेक हैं, चाहे वो स्वास्थ्य के लिए हों, त्वचा के लिए हों या बालों के लिए।
~ हमारे स्वास्थ्य (Health) के लिए भी वरदान है. इसमें औषधीय गुण की बात की जाए तो एंटीसेप्टिक, एंटी-बैक्टीरियल, एंटी - वायरल और एंटी-इंफ्लेमेटरी, एंटी-ओबेसिटी गुण पाए जाते हैं. इसके साथ ही एलोवेरा में पॉवरफुल एंटीऑक्सीडेंट के गुण ऐसे ही कई अन्य गुण मौजूद हैं।
~ इसके साथ ही इसमें विटामिन ए और फोलिक एसिड जैसे जरूरी पोषक तत्व भी पाए जाते हैं।
~ यह एंटिफंगल, जीवाणुरोधी है और कोशिकाओं के उत्थान में मदद करता है। एलोवेरा लेटेक्स का स्वाभाविक रूप से अवसाद, कब्ज, अस्थमा और मधुमेह के इलाज के लिए प्रयोग किया जाता है। एलोवेरा में कई विटामिन और मिनरल शामिल हैं जो शरीर के सभी प्रणालियों के उचित विकास और कार्य के लिए महत्वपूर्ण हैं।
° यह एक हेल्थ टॉनिक की तरह स्वास्थ्य के लिए लाभकारी हो सकता है।
° यह एक एंटीसेप्टिक है:यह आपकी पाचन तंत्र को साफ करने में मदद करता है। यह खून को शुद्ध करने में भी मदद करता है।
° रक्त प्रवाह में सुधार: एलोवेरा आपके केशिकालों के आकार को बढ़ाने में मदद कर सकता है जिससे आपके शरीर में रक्त परिसंचरण में सुधार हो सकता है।
° यह पेट साफ -पाचन क्रिया में सुधार से लेकर, रोग-प्रतिरोधक क्षमता को बूस्ट करने के साथ-साथ डायबिटीज जैसी बीमारी में भी लाभकारी है।
° त्वचा स्कीन के लिए लाभदायक तथा मोटापा कम करता है।
° लिवर कोलेस्ट्रॉल भी कम हो सकता है।
° स्मरण शक्ति को बेहतर करने में मददगार मस्तिष्क और मिर्गी के लिए, गठिया जोड़ों के दर्द के लिए, किल - मुंह के छालों लिए, सूजन में, घाव भरने के लिए, बालों के लिए।
° ह्रदय के लिए, धमनियों में प्लाक का जमने की बीमारी) को रोकने में मदद कर सकता है।
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*🔹• PAPAYA (पपीता):-
~ पपीता को वजन घटाने में सहायता करने, ऑक्सीडेटिव तनाव को कम करने, डायबिटीज में फायदेमंद, एंटी एजिंग (Anti Aging) प्रभाव वाला और घाव भरने को बढ़ावा देने वाला फल माना जाता है. पपीते के फल में एंटीऑक्सिडेंट, एंजाइम, विटामिन सी, ई और ए, डायटरी फाइबर, मैग्नीशियम और पोटेशियम सहित कई मिनरल होते हैं।
~ पपीता में मौजूद पॉलीफेनोल्स में शक्तिशाली एंटीऑक्सीडेंट होते हैं। ये ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस को कम करके स्वास्थ्य को बनाए रखने और बीमारियों को रोकने में मदद कर सकते हैं
~~ इसके अलावा, यह शरीर में मौजूद फ्री रेडिकल्स को खत्म कर सकते हैं।
यही नहीं, एंटीऑक्सीडेंट को गेस्ट्रोइंटेस्टाइनल ट्रैक्ट (पाचन) की समस्याओं को दूर करने के लिए भी जाना जाता है। साथ ही इसमें कैरोटीनॉयड भी होता है, जो कि एक प्रकार का एंटीऑक्सीडेंट है।
° एंटीकैंसर गुण
पपीता के औषधीय गुण कैंसर से बचाव कर सकते हैं। कई संस्थाओं ने इस विषय पर शोध किया है। एक रिसर्च पेपर के अनुसार, पपीते में पेक्टिन कंपाउंड होता है, जो एंटीकैंसर प्रभाव दिखा सकता। यह कंपाउंड कैंसर की कोशिकाओं को पनपने से रोकने में फायदेमंद हो सकता है।
° एंटीऑक्सीडेंट और इम्यूनोस्टिमुलेंट (Immunostimulant) गुण प्रतिरक्षा प्रणाली को बढ़ा सकते हैं।
~ पपीते में विटामिन-सी भी होता है, जो रोग प्रतिरोधक शक्ति को बढ़ाने में उपयोगी हो सकता है। इसके अलावा, विटामिन ए, विटामिन सी और फाइबर से भरपूर पपीता ऐज रिलेटेड मैकुलर डिजनरेशन यानी उम्र की वजह से आंखों की रोशनी कम होने के जोखिम को कम करने में भी सहायक हो सकता है।
° पपीते में कार्डियोप्रोटेक्टिव और एंटीऑक्सीडेंट गुण पाए जाते हैं। ये दोनों कार्डियोटॉक्सिसिटी की स्थिति को दूर करने और हृदय को स्वास्थ बनाए रखने में मदद कर सकते हैं।
° सूजन आगे चलकर कैंसर, मधुमेह और एथेरोस्क्लेरोसिस (धमनियों की बीमारी) जैसे विभिन्न रोग का कारण बन सकती है। ऐसे में सूजन की समस्या को दूर करने में पपीता खाने से लाभ हो सकते हैं। एक शोध में पाया गया है कि पपीते में एंटीइंफ्लेमेटरी प्रभाव होता है, जो गंभीर सूजन को दूर कर सकता है। साथ ही गंभीर सूजन के कारण होने वाले रोगों के लक्षण भी इससे कम हो सकते हैं।
° पपीते में हाइमोपैपेन और पैपेन (Papain) जैसे कंपाउंड होते हैं। इन्हें पाचन संबंधी विकारों को दूर करने के लिए जाना जाता है। पैपेन से प्रोटीन को तेजी से पचाने में मदद मिल सकती है।
° पपीते में एंटी अल्सर पाया जाता है जो अक्सर को ठीक करने में मदद करता है।
° पपीते में मौजूद फाइबर को कब्ज के लिए अच्छा माना जाता है यह स्वाभाविक रूप से शरीर को शरीर की सफाई बॉडी डिटॉक्स कर सकता है। साथ ही लिवर और किडनी को स्वस्थ रखता है।
° पपीते में एंटीफंगल प्रभाव होता है यह तव्चा, शरीर में फंगल इंफेक्शन के उपचार के साथ ही दाद की शिकायत को दूर कर सकता है।
° छोटी-छोटी रक्त कोशिकाओं को प्लेटलेट्स कहा जाता है। ये शरीर में रक्तस्राव को रोकने के लिए खून के थक्के बनाने में मदद करते हैं। इसका काउंट बढ़ाने में पपीता मदद कर सकता है। इस विषय पर हुए शोध में पाया गया कि पपीता, उसके अर्क और अन्य भागों में कारापाइन, मैलिक एसिड, क्विनिक एसिड और क्लिटोरिन जैसे घटक होते हैं। ये सभी घटक प्लेटलेट्स बनाने की क्षमता को बढ़ा सकते हैं।
° डेंगू में भी फायदेमंद है।
° पपीता का लाभ घाव भरने के लिए लाभदायक है।
° मोटापा कम करने, कम कैलोरी और उच्च फाइबर युक्त पपीता वजन को नियंत्रण तथा कम करने का अच्छा विकल्प हो सकता है।
° गर्भावस्था के लिए पका हुआ पपीता खाने से लाभ गर्भावस्था के दौरान भी देखे जा सकते हैं।
° पपीता के पत्ते में भी एंटी-डायबिटीज गुण होता है, जो मधुमेह के लिए फायदेमंद माना जाता है। तथा किडनी के लिए भी फायदेमंद है।
° बायोफ्लेवोनाईड, एंटी ऑक्सीडेंट के कारण डैंड्रफ को नियंत्रित करता है, डैंड्रफ की समस्या को दूर करने में भी फायदेमंद होता है, तथा बालों को झड़ने से रोकने में मदद करता है।
° बायोफ्लेवोनोइड और एंटीऑक्सीडेंट होते हैं। ये दोनों त्वचा को मॉइस्चराइज करने, रंगत और दाग-धब्बों को साफ करने के साथ ही झुर्रियों को कम करने में फायदेमंद हाे सकते हैं।
° इसके अलावा, ये आंखों के नीचे के काले घेरे, एक्जिमा और सोरायसिस को ठीक कर सकते हैं। साथ ही टैन को हटाकर मुंहासे को नियंत्रित करने में मददगार माने जाते हैं।
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*🔹SPINACH (पालक):-
~ हरे रंग की पत्तेदार सब्जियों में आपने कभी न कभी पालक का स्वाद जरूर चखा होगा। भारत में पालक का बड़े पैमाने पर प्रयोग किया जाता है। इसे हिंदी में पालक, अंग्रेजी में स्पिनेच (Spinach) के नाम से जाना जाता है। पालक का वैज्ञानिक नाम स्पिनासिया ओलेरेसिया (Spinacia oleracea) है। जो आपके स्वास्थ्य को बेहतर बनाने में कई प्रकार से कार्य कर सकता है।
° पालक में विटामिन-ए और विटामिन-सी पाया जाता है, जो मुख्य रूप से आंखों में होने वाले मैक्यूलर डीजेनरेशन (Macular Degeneration – नेत्र आंख रोग) के खतरे को कम कर सकता है।
° पालक में ल्यूटिन (Lutein) और जियाजैंथिन (Zeaxanthin) नामक यौगिक पाए जाते हैं। ल्यूटिन और जियाजैंथिन का सेवन एंटीऑक्सिडेंट गुण की तरह कार्य करता है, जो मैक्युला (रेटिना का केंद्र बिंदु) में पिगमेंट डेनसिटी को सुधारने में अहम भूमिका निभा सकता है।
° मस्तिष्क स्वास्थ्य के लिए भी पालक के फायदे देखे जा सकते हैं। पालक मस्तिष्क-स्वस्थ के लिए उपयोगी विटामिन-के, ल्यूटिन, फोलेट और बीटा कैरोटीन जैसे पोषक तत्वों से भरपूर होता है। पालक में पे जाने वाले Calcium से Nervous System तथा याददाश्त शक्ति को मजबूत करने का काम करता है।
° हड्डियों के स्वास्थ्य के लिए
हड्डियों को स्वस्थ रखने के लिए कैल्शियम सबसे जरूरी पोषक तत्व है, जो हड्डियों के निमार्ण से लेकर उनके विकास में मदद करता है और उन्हें मजबूती प्रदान करता है। पालक में कैल्शियम और विटामिन के पाए जाते हैं, इसलिए हड्डियों के स्वास्थ्य को बरकरार रखने के लिए आप पालक को दैनिक आहार में शामिल कर सकते हैं।
° रोग मुक्त रहने के लिए इम्यनिटी का मजबूत रहना बहुत जरूरी है। पालक में विटामिन-ई की मात्रा भरपूर रूप में पाई जाती है और विटामिन-ई रोग-प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने का काम कर सकता है।
° पाचन स्वास्थ्य (Gastrointestinal Health)
~ गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल पाचन तंत्र से संबंधित होता है। पाचन तंत्र गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल ट्रैक्ट (Gastrointestinal Tract) लीवर, अग्न्याशय (Pancreas) और पित्ताशय (Gallbladder) से बना होता है, जो शरीर में भोजन ग्रहण करने से लेकर भोजन को पचाने में मदद करता है।
° एनीमिया, खून के कमी को बढ़ाने के लिए आयरन की भरपूर मात्रा की आवश्यकता होती है।
° शारीरिक मांसपेशी को मजबूत बनाने में मदद करता है।
° कैल्शियम की कमी को पूर्ति करता है जिससे हमरी हड्डी मजबूत बनाने में मदद करता है।
° पालक आपके स्वास्थ्य को मजबूत बनाने के लिए एंटी-इन्फ्लामेट्री के रूप में तथा सूजन को कम करने का भी कार्य करता है।
° हार्ट अटैक के खतरे से बचे रहने के लिए, तथा
° ब्लड प्रेसर को कम करने के लिए फायदेमंद है।
° अगर आप भी बढ़े हुए वजन से परेशान हैं, तो पालक कम कैलोरी वाला पौधा है इस का सेवन वजन घटाने में मदद कर सकता है। ऐसा इसलिए संभव हो सकता है।
° पालक बीटा कैरोटीन और विटामिन-सी से समृद्ध होता है और ये दोनों पोषक तत्व विकसित हो रही कैंसर कोशिकाओं से सुरक्षा प्रदान कर सकते है। इसके अतिरिक्त ये एक एंटीऑक्सीडेंट की तरह फ्री-रेडिकल्स और कार्सिनोजन (Carcinogens – एक पदार्थ जिससे कैंसर हो सकता है) को भी रोक सकते हैं।
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*🔹• GINKGO BILOBA (गिंगो बिलोबा):-
गिंको बाइलोबा एक तरह का आयुर्वेदिक पौधा है, जिसका आकार काफी बड़ा होता है। इसका पेड़ 60 से 100 फीट तक ऊंचा हो सकता है। साथ ही यह सीधा, लंबा और शाखाओं वाला होता है। इसके पत्ते लंबे और डंठल वाले होते हैं। जिसके उपयोग से कई रोगों से मुक्ति पाने में मदद मिल सकती है।
~ गिंको बाइलोबा में मौजूद औषधीय गुण के कारण ही लोग इसे इस्तेमाल करते हैं। इसमें मुख्य रूप से मल्टीविटामिन और मिनरल्स की समृद्ध मात्रा पाई जाती है, जो शरीर को जरूरी पोषण प्रदान करता है। इसके अलावा, इसमें एंटीडिप्रेसेंट, एंटी-इंफ्लेमेटरी और एंटी-प्लेटलेट जैसी गतिविधि भी होती है, जो इनसे जुड़ी समस्या को दूर रखने में मदद कर सकता है।
° अस्थमा, चक्कर, थकान व टिनिटस आदि बीमारियों के इलाज के लिए जिंको बाइलोबा का उपयोग सैकड़ों वर्षों से किया जा रहा है।
° जिंको बाइलोवा में फ्लेवोनोइड्स, विटामिन-ई और विटामिन-सी जैसे एंटीऑक्सीडेंट गुण होते हैं, जो आंखों को प्रभावित करने वाले फ्री रेडिकल्स को खत्म करने में मदद करते हैं। इससे ग्लूकोमा के जोखिम और उसके स्तर को कम करने में मदद कर सकते हैं।
° जिंको बाइलोबा के पत्तों के अर्क में एंटीऑक्सीडेंट के रूप में क्वेरसेटिन, टेरेपिन लैक्टोन, ग्लूकोज, कार्बनिक एसिड, डी-ग्लूकेरिक और जिन्कगोलिक एसिड जैसे गुण होते हैं। ये सभी रक्तचाप को नियंत्रित करके रक्त के प्रवाह में सुधार करने का काम कर सकते हैं। साथ ही ये प्लेटलेट को इकट्ठा होने से भी रोक सकते हैं। ऐसे में कहा जा सकता है कि गिंको बाइलोबा के बेनिफिट रक्त संचार में सुधार के लिए हो सकता है।
° चिंता व तनाव को कम कर एकाग्रता बढ़ाने के लिए चिंता और अवसाद से निजात पाने के लिए लोग गिंको बाइलोबा का उपयोग दवाओं के रूप में करते हैं।
इसमें पाए जाने वाले एंटीऑक्सीडेंट गुण मानसिक बीमारियों से ग्रस्त लोगों को जल्द ही आराम दिलाने में मदद कर सकते हैं
वहीं, इसके आयुर्वेदिक गुण अल्जाइमर का इलाज करने में सक्षम है। साथ ही याददाश्त को बेहतर करने में मदद कर सकते हैं, जिससे एकाग्रता बढ़ सकती है।
° आंखों के लिए
ग्लूकोमा ऐसी स्थिति है, जिसमें देखने की क्षमता धीरे-धीरे कम होने लगती है। इससे बचने में गिंको बाइलोबा मदद कर सकता है।
~ जिंको बाइलोवा में फ्लेवोनोइड्स, विटामिन-ई और विटामिन-सी जैसे एंटीऑक्सीडेंट गुण होते हैं, जो आंखों को प्रभावित करने वाले फ्री रेडिकल्स को खत्म करने में मदद करते हैं। इससे ग्लूकोमा के जोखिम और उसके स्तर को कम करने में मदद कर सकते हैं।
~ लिहाजा, कहा जा सकता है कि गिंको बाइलोबा के लाभ आंखों के लिए लाभदायक हो सकते हैं।
° दर्द को कम करने के लिए गिंको बाइलोबा का उपयोग कई परिस्थितियों में दर्द निवारक के रूप में किया जाता है।
~ यह नसों के सिकुड़ने से पैर में होने वाले दर्द से भी राहत दिला सकता है । इसके अलावा, गिंको बाइलोबा का अर्क टिशू के क्षतिग्रस्त होने पर न्यूरोपैथिक जैसे पुराने दर्द से भी आराम दिला सकता है।
° रक्त संचार में सुधार के लिए
जिंको बाइलोबा के पत्तों के अर्क में एंटीऑक्सीडेंट के रूप में क्वेरसेटिन, टेरेपिन लैक्टोन, ग्लूकोज, कार्बनिक एसिड, डी-ग्लूकेरिक और जिन्कगोलिक एसिड जैसे गुण होते हैं। ये सभी रक्तचाप को नियंत्रित करके रक्त के प्रवाह में सुधार करने का काम कर सकते हैं। साथ ही ये प्लेटलेट को इकट्ठा होने से भी रोक सकते हैं। ऐसे में कहा जा सकता है कि गिंको बाइलोबा के बेनिफिट रक्त संचार में सुधार के लिए हो सकता है।
° हृदय के लिए
जिन्को बाइलोबा के अर्क में एंटीहाइपरट्रॉफिक गुण होता है, जिस कारण हृदय को बेहतर तरीके से काम करने में सहायता मिल सकती है।
~ यहां बता दें कि हाइपरट्रॉफिक में हृदय की मांसपेशियां जरूरत से ज्यादा मोटी हो जाती हैं। इससे हृदय की खून को पंप करने की क्षमता प्रभावित होती है। इस प्रकार जिन्को बाइलोबा हृदय को स्वस्थ रखकर शरीर में रक्त संचार प्रणाली को संतुलित करने का काम कर सकता है।
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*🔹• PANAX GINGSENG (पैनाक्स जिंगसेंग)'-*
• यह एंटीऑक्सिडेंट, एंटी-इन्फ्लामेटरी और कैंसर विरोधी प्रभाव को कम करता है,
दोनों ऊर्जा को बढ़ावा दे सकते हैं, रक्त शर्करा और कोलेस्ट्रॉल के स्तर को कम कर सकते हैं, तनाव को कम कर सकते हैं, विश्राम को बढ़ावा दे सकते हैं, मधुमेह का इलाज कर सकते हैं और पुरुषों में यौन रोग का प्रबंधन कर सकते हैं।
° जिनसेंग उन लोगों में शारीरिक और मानसिक गतिविधि को प्रोत्साहित करने में मदद कर सकता है जो कमजोर और थका हुआ महसूस करते हैं।
~एक अध्ययन विश्वसनीय स्रोत 21 पुरुषों और 69 महिलाओं में से पाया गया कि जिनसेंग ने क्रोनिक थकान से पीड़ित लोगों की मदद करने में अच्छे परिणाम दिखाए हैं ।
° जिनसेंग एक बेहतरीन एनर्जी बूस्टर के तौर पर काम कर सकता है। इसमें पाए जाने वाले पोषक तत्व थकान, कमजोर जैसे विकारों को दूर कर शरीर में ऊर्जा का संचार कर सकते हैं। इसलिए, इसका उपयोग उन लोगों के शारीरिक और मानसिक सुधार के लिए किया जा सकता है।
° जिनसेंग कैंसर से संबंधित थकान को कम करने में मदद करता है।
° वजन घटाने के लिए भी जिनसेंग को इस्तेमाल में लाया जा सकता है। इसमें एंटी-ओबेसिटी गुण होता है। विशेषज्ञों का कहना है कि जिनसेंग शरीर में पाचन क्रिया को मजबूत बनाने का काम कर सकता है। साथ ही यह शरीर पर अतिरिक्त वसा को चढ़ने नहीं देता और वजन घटाने में लाभकारी सिद्ध होता है।
° टाइप-2 डायबिटीज के रोगी में बढ़ने वाली रक्त शर्करा की मात्रा को कंट्रोल कर सकता है।
° जिनसेंग के गुण यौन शिथिलता में मददगार साबित हो सकते हैं।
~ इसलिए, इसे हर्बल वियाग्रा भी कहा जाता है। बता दें कि इसमें जिनसिनोसाइड्स मौजूद होता है, जो नाइट्रिक ऑक्साइड के स्तर को बढ़ाकर लिंग में रक्त प्रवाह को बढ़ावा दे सकता है। साथ ही कामेच्छा को भी प्रेरित कर सकता है। वहीं, कुछ शोध से इस बात का भी प्रमाण मिलता है कि जिनसेंग को पुरुषों में टेस्टोस्टेरोन (पुरुषत्व बढ़ाने वाला हार्मोन) के स्तर को गति देने के लिए भी उपयोग में लाया जा सकता है।
° सहायता से अल्जाइमर के लक्षण यानी याददाश्त कमजोर होने की बीमारी को भी काफी हद तक सुधारा जा सकता है, दिमागी क्षमता, बौद्धिक मानसिक विकास में सहायक है।
° जिनसेंग में इम्युनोस्टिमुलिटरी प्रभाव पाए जाते हैं, जो रेजिस्टेंस बूस्टर की तरह काम कर सकता है। इससे संक्रामक बीमारियों को फैलाने वाले वायरस के खिलाफ लड़ने के लिए शरीर की प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ावा मिल सकता है।
° जिनसेंग में एंटी एजिंग प्रभाव होते हैं, जो समय से पहले बढ़ते उम्र के लक्षण को आने से रोक सकते हैं। साथ ही जिनसेंग का सूजन प्रतिरोधक गुण उम्र बढ़ने के साथ होने वाले त्वचा संबंधी विकार जैसे- झुर्रियां, दाग-धब्बे और बेजान त्वचा पर कुछ असरदार साबित हो सकता है।
~ इसका उपयोग त्वचा की समस्या को कम करने के लिए बेहतर माध्यम साबित हो सकता है।
° यह इंफ्लेमेशन यानी सूजन से जुड़ी समस्या को कम करने में मदद कर सकता है। विशेषज्ञों के मुताबिक, रेड जिनसेंग में पाए जाने वाले यौगिकों में एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण पाए जाते हैं, जो इंफ्लेमेशन की समस्या से निजात दिला सकते हैं।
° फेफड़े का कार्य _फेफड़ों से जुड़ी कई समस्या एक तरह का इंफ्लेमेटरी विकार हो सकता है, जिससे छुटकारा पाने में जिनसेंग मददगार हो सकता है।
~ दरअसल, इसमें जिनसेनोसाइड्स गुण पाए जाते हैं, जो एंटी इंफ्लेमेटरी के रूप में काम कर सकते हैं। इससे लंग्स की समस्या से राहत मिल सकती है।
° मासिक धर्म से जुड़ी समस्याओं में कारगर _मासिक धर्म के दौरान महिलाओं में तनाव और पेट में होने वाली पीड़ा के लिए रेड जिनसेंग बेहतर आयुर्वेदिक उपचार साबित हो सकता है।
~ इस संबंध में किए गए वैज्ञानिक शोध के दौरान विशेषज्ञों ने पाया कि जिनसेंग के गुण इतने खास हैं कि इसके सेवन से महिलाओं को मासिक धर्म के दौरान होने वाली तकलीफों में भी राहत मिल सकती है।
° बालों का रखे ख्याल जिनसेंग में पाए जाने वाले खास यौगिक बालों के विकास और स्वस्थ स्कैल्प को बनाए रखने में मददगार साबित हो सकते हैं। जिनसेंग में पाए जाने वाले जिनसेनोसाइड्स बालों को झड़ने से बचाते हैं और उनकी जड़ों को मजबूती प्रदान करने का काम कर सकते हैं।
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